एक युवा समलैंगिक बालक आत्म-आनंद में लिप्त होता है, अपने तंग रियर को चिढ़ाते हुए अपनी मर्दानगी को सहलाता है । उनके विलाप और लेखन एक साथ आत्म-संतुष्टि के परमानंद को दर्शाते हैं ।