एक भावुक दोस्त परमानंद के चरम पर पहुंचता है, अपने चिपचिपा भार को उजागर करता है । उसकी मर्दानगी तीव्र आनंद के साथ स्पंदित होती है, जिससे वह खर्च और संतुष्ट हो जाता है ।